गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने की कोई योजना नहीं: केंद्र ने संसद में दिया जवाब

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13 अगस्त: केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में स्पष्ट किया कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की कोई योजना फिलहाल नहीं है। लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने कहा कि पशुओं के संरक्षण और कल्याण से जुड़े कानून बनाने का विशेष अधिकार राज्यों के पास है

सांसद का सवाल और सरकार का जवाब

लोकसभा के मानसून सत्र में एक सांसद ने केंद्र से पूछा कि क्या सरकार निकट भविष्य में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने जा रही है और इसके लिए कोई नीति बनाई गई है?
जवाब में मंत्री ने साफ कहा —

“गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के संबंध में केंद्र के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। पशुओं के संरक्षण और उनकी सुरक्षा पर कानून बनाना संविधान की राज्य सूची में आता है, इसलिए यह राज्यों का विशेषाधिकार है।”

गाय संरक्षण पर राज्यों की भूमिका

भारत में कई राज्यों ने पहले से ही गाय संरक्षण के लिए अपने-अपने स्तर पर कानून बनाए हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में गौवंश वध पर पूर्ण प्रतिबंध है, जबकि कुछ राज्यों में आंशिक प्रतिबंध लागू है।
केंद्र सरकार ने दोहराया कि वह राज्यों को इस दिशा में आवश्यक सहयोग और मार्गदर्शन देने के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन राष्ट्रीय पशु का दर्जा बदलने का अधिकार केंद्र के पास है और इस पर कोई नया कदम नहीं उठाया जा रहा।

राष्ट्रीय पशु का दर्जा और मौजूदा स्थिति

इस समय बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है, जिसे 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के तहत घोषित किया गया था। किसी भी पशु को राष्ट्रीय प्रतीक बनाने के लिए सांस्कृतिक, पारंपरिक, ऐतिहासिक और पारिस्थितिक महत्व का मूल्यांकन किया जाता है।
हाल के वर्षों में कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग उठाई है, लेकिन इस पर आधिकारिक स्तर पर कोई सहमति नहीं बनी है।

संसद में आया मुद्दा और राजनीतिक बहस

गाय संरक्षण का मुद्दा भारतीय राजनीति में लंबे समय से संवेदनशील और भावनात्मक विषय रहा है। कुछ दल और संगठन इसे सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था से जोड़ते हैं, जबकि अन्य इसे कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था और ग्रामीण आजीविका के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं।
हालांकि, विपक्षी दल अक्सर आरोप लगाते हैं कि इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए उछाला जाता है।

केंद्र का रुख साफ

मंत्री ने संसद में यह भी जोड़ा कि पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में गौवंश के स्वास्थ्य, उत्पादकता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई योजनाएं पहले से चल रही हैं। इनमें राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन और पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम शामिल हैं।
लेकिन, गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने का कोई औपचारिक प्रस्ताव वर्तमान में केंद्र के विचाराधीन नहीं है।

केंद्र सरकार के इस बयान से यह साफ हो गया कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग फिलहाल केवल सामाजिक और राजनीतिक विमर्श तक सीमित है। कानूनी और संवैधानिक रूप से यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र का विषय है, और केंद्र इस दिशा में कोई कदम उठाने के मूड में नहीं है।

 

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