मीर यार बलूच का ट्रम्प को अल्टीमेटम: “बलूचिस्तान के तेल-खनिज खातों में पाकिस्तान का कोई हक न हो”

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 03 अगस्त: बलूच नेता मीर यार बलूच ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके प्रशासन को चेतावनी दी है कि बलूचिस्तान के विशाल तेल और खनिज भंडार पूरी तरह ‘बलूचिस्तान गणराज्य’ के हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्ज़ा कर रखा है। पाकिस्तान को संसाधनों का मालिक घोषित करना न सिर्फ झूठ है, बल्कि यह बलूचों के खिलाफ एक राजनीतिक और आर्थिक धोखा है।

ट्रम्प ने हाल ही में कहा था कि अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर इस क्षेत्र के तेल भंडार विकसित करेंगे तथा एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेच सकता है। इस घोषणा के कुछ ही घंटों बाद उन्होंने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का निर्णय भी घोषित किया था। उसी समय मीर यार ने ट्वीट कर स्पष्ट किया कि उक्त भंडार पंजाब में नहीं बल्कि बलूचिस्तान में हैं—जो अभी पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं।

ट्रंप को बलूच ने दी सख्त चेतावनी

मीर यार ने लिखा: “आपका प्रशासन, विशेष रूप से जनरल असीम मुनीर और ISI के माध्यम से, आपको इस क्षेत्र की वास्तविक भू-स्थिति और स्वामित्व के बारे में ‘गंभीर रूप से गुमराह’ कर रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान की वो सेना और संस्था जिन्होंने आतंकवादी समूहों को समर्थन दिया है, वे इस संसाधन से लाब उठाएगी—जो एक वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क को मजबूत कर सकता है।

रॉबस्ट भू-राजनीतिक बहस

बलूच नेता ने रेखांकित किया कि बलूचिस्तान के तेल, प्राकृतिक गैस, लिथियम, यूरेनियम और दुर्लभ खनिज पंजाब में स्थित नहीं हैं। बलूच नेतृत्व वाले क्षेत्र की यह संपदा इतिहास से अपने वतन का हिस्सा है, जिसे पाकिस्तान ने अवैध तरीके से जोड़ा। इस तरह का दावा, उन्होंने कहा, सिर्फ झूठ नहीं बल्कि बलूचता की संपदा की लूट का एक परिसंचारी प्रयास है।

बलूचिस्तान का संघर्ष

बलूच नेशनल मूवमेंट (BNM) बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की राजनीतिक लड़ाई का केंद्र रहा है। यह आंदोलन बलूच नेताओं के जबरन गायब होने, न्यायेतर हत्याओं तथा अन्यायपूर्ण मुकदमों के खिलाफ लगातार आवाज़ उठाता रहा है। मीर यार के मध्यम से हुए बयान से यह आंदोलन भी पुनः सशक्त हुआ है।

 भू-राजनीति की भूल कहीं पीछे न छोड़ दे तब भी बेंचमार्क

सामूहिक संसाधनों पर जब किसी राष्ट्र की पहचान बनाई जाती है, तब भू-राजनीतिक अपराध में कई सीमाएं लांघ जाती हैं। ट्रम्प द्वारा किए गए संसाधन संबंधी दावे यदि असत्य साबित होते हैं, तो यह सिर्फ बाहरी नीतिगत भूल नहीं होगी बल्कि बलूच जनता के अधिकारों और आत्म-सत्ता पर सीधा आघात होगी।

अब सवाल यह है कि क्या अमेरिका किसी गलत राजनीतिक जानकारी पर निवेश करेगा? और क्या ऐसी साझेदारी बलूचिस्तान, दक्षिण एशिया एवं अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता को अधिक कमजोर बना देगी?

भू-वैश्विक त्रासदी के बीच सत्य की पुकार

मीर यार बलूच का यह बयान सिर्फ एक भीतरूनी चेतावनी नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक अस्थिरता की चेतावनी है। यदि बलूचिस्तानी संसाधनों पर पाकिस्तान के गैरकानूनी अधिकारों को वैश्विक मान्यता मिलती है, तो अंततः बलूच जनता ही स्थायित्व खो सकती है।

यह अवसर है कि हम राष्ट्रीय हितों से परे—न्याय, पहचान और लोक संपदा की रक्षा—का मंथन करें। दावे सत्य हो या गलत, लेकिन इन पर भरोसा केवल तथ्यों, लोकतंत्र, और न्याय पर ही टिक सकता है।

 

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