समग्र समाचार सेवा
नैनीताल, 11मई। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को COVID-19 की दूसरी लहर से निपटने के लिए प्रदेश सरकार की तैयारी न होने और संक्रमण में भारी वृद्धि के बावजूद ‘धार्मिक मेलों के आयोजन जारी रखने’ को लेकर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। अदालत ने सरकार को कड़े निर्देश भी दिए। आज स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने पूर्व के आदेश के क्रम में शपथपत्र पेश किया। जिस पर कोर्ट सन्तुष्ट नहीं हुई।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक वर्मा की खंडपीठ ने स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार की तैयारी पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, कि महामारी को आए एक साल से ज्यादा समय होने के बावजूद राज्य अभी तक वायरस से लड़ने के लिए तैयार क्यों नहीं है?
माननीय न्यायालय ने कहा कि जनवरी से ही विश्व भर के विशेषज्ञ दूसरी लहर के लिए चेतावनी दे रहे थे, इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने कुम्भ का आयोजन किया जो सिर्फ उत्तराखण्ड ही नहीं देश के कई हिस्सों में कोरोना के मामले बढ़ने का कारण बना।
कोर्ट ने कहा कि सरकार कहती है कि चार धाम यात्रा निरस्त हो गई है लेकिन मंदिरों का प्रबंधन देखने वाले बोर्ड ने यात्रा के लिए एसओपी जारी कर दी है। अदालत ने यह भी कहा कि अभी राज्य कुंभ मेला के प्रभाव से लड़खड़ा रहा है लेकिन पूर्णागिरी मेले का आयोजन कर फिर दस हजार लोगों की भीड़ को आमंत्रित कर लिया गया। अदालत ने सवाल उठाया कि क्या कुमाऊं क्षेत्र में कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते मामलों का कारण मेले का आयोजन है?
स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी द्वारा पिछले कुछ माह में आक्सीजन और आइसीयू बेड्स जैसी सुविधाओं को मजबूत करने के बारे में पेश की गई विस्तृत रिपोर्ट पर अदालत ने कहा कि तीसरी लहर तो छोडिए, यह दूसरी लहर से लड़ने के लिए भी पर्याप्त नहीं है।
खण्डपीठ ने राज्य सरकार को निम्न लिखित बिंदुओं पर निर्देश दिए है –
1- टेस्टिंग लैबों की संख्या बढ़ाई जाए और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 27% केस पहाड़ी क्षेत्रों में है इसलिए सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में टेस्ट कराने हेतु मोबाइल सेवा उपलब्ध कराए।
2 – जो कालेज बंद हैं तथा होटलों को शीघ्र कोविड सेंटर बनाने पर विचार किया जाय।
3 – हरिद्वार, हल्द्वानी, व देहरादून जैसे बड़े शहरों में अस्पतालों विशेषकर आईसीयू बेडों की संख्या बढ़ाए और रामनगर जैसे छोटे शहरों में हैल्थ सेंटर युद्ध स्तर पर खोलें जाए।
4 – ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर सीधे विदेशो से मंगाने हेतु सरकार केंद्र से परमिशन ले।
5 – सरकार केंद्र से पत्राचार करे कि उत्तराखण्ड में बन रही ऑक्सीजन पहले राज्य में उपयोग की जाय।
6 – जिन दवाओं की कलाबाजारी हो रही है और जो प्राइवेट हॉस्पिटल अधिक चार्ज कर रहे है, नोडल अधिकारी आईजी अमित सिन्हा उन पर कार्यवाही कर 20 मई तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।
7 – कोविड वेक्सिनेशन सेंटर अधिकतर हॉस्पिटलों में बनाये गए है उनको वहां से हटाकर अन्य जगह पर स्थापित करें।
8 – भवाली सेनेटोरियम टीबी सेंटर को भी कोविड हॉस्पिटल बनाने पर विचार करें।
9 – खण्डपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि महामारी को देखते हुए सरकार डॉक्टरों व नर्सो की भर्ती शीघ्र करे चाहे उन्हें कितना भी वेतन क्यों न देना पड़े।
कोर्ट ने सरकार को 20 मई तक दुबारा से शपथपत्र पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 20 मई की तिथि नियत की है।
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