एक तिहाई ऋण वसूली न्यायाधिकरण बंद पड़े, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,18 नवम्बर। देश में आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं, लेकिन कर्ज वसूली के मामले में एक बड़ी समस्या सामने आई है। भारत में कुल ऋण वसूली के मामलों में एक तिहाई न्यायाधिकरण बंद पड़े हुए हैं, जिसके कारण कर्ज वसूली की प्रक्रिया में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। इस स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और कर्ज वसूली के मामले में तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता जताई है।

ऋण वसूली न्यायाधिकरण का महत्व

ऋण वसूली न्यायाधिकरण (Debt Recovery Tribunal – DRT) का उद्देश्य बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कर्ज वसूली मामलों को शीघ्रता से निपटाना है। इन न्यायाधिकरणों का गठन विशेष रूप से उन मामलों के लिए किया गया है, जहां बड़े कर्जदारों द्वारा लोन की अदायगी में देरी हो रही हो। ये न्यायाधिकरण ऋण वसूली की प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने में मदद करते हैं।

  • DRT की भूमिका: जब कर्जदार लोन की अदायगी में चूकता है, तो ऋण वसूली न्यायाधिकरण का दरवाजा खोला जाता है। इन न्यायाधिकरणों द्वारा त्वरित सुनवाई और निर्णय से कर्ज की वसूली को तेज किया जाता है।
  • NCLT का सम्बंध: इसके अलावा, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) भी बैंकों के द्वारा कर्ज वसूली के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

बंद पड़े न्यायाधिकरणों का मुद्दा

सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले पर नोटिस जारी किया गया है क्योंकि पिछले कुछ समय से एक तिहाई ऋण वसूली न्यायाधिकरण बंद पड़े हैं। इन न्यायाधिकरणों के बंद होने से कर्ज वसूली की प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और यह बैंकिंग सिस्टम में तनाव को बढ़ा रहा है।

  • सुप्रीम कोर्ट का आदेश: कोर्ट ने कहा है कि इन न्यायाधिकरणों के बंद होने से कर्जदारों के खिलाफ कार्यवाही में देरी हो रही है, जिससे बैंकिंग सेक्टर की वित्तीय स्थिति पर असर पड़ सकता है।
  • कर्ज वसूली में देरी: जब ये न्यायाधिकरण काम नहीं कर रहे हैं, तो कर्ज वसूली की प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिससे बैंकों को घाटा होता है और उनके वित्तीय स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।

केंद्र सरकार की जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए यह सवाल उठाया है कि आखिर क्यों एक तिहाई ऋण वसूली न्यायाधिकरण बंद पड़े हैं। अदालत ने केंद्र से पूछा है कि इस स्थिति को कब तक सुधारने के उपाय किए जाएंगे।

  • सरकार का जवाब: केंद्र सरकार को कोर्ट के आदेश के बाद जल्द ही इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी और यह बताना होगा कि न्यायाधिकरणों को फिर से खोलने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
  • वित्तीय सुधार: विशेषज्ञों के अनुसार, यह मुद्दा भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि ऋण वसूली प्रक्रिया में देरी होती है, तो यह पूरे वित्तीय क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है।

ऋण वसूली की अहमियत

भारत में बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए कर्ज वसूली एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि इससे उनका वित्तीय स्वास्थ्य मजबूत होता है। यदि यह प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल रही है, तो बैंकों को कर्ज के डिफॉल्ट के कारण काफी नुकसान हो सकता है।

  • बैंकिंग क्षेत्र का संकट: कर्ज वसूली में देरी होने के कारण बैंकों की बैलेंस शीट पर असर पड़ता है, और यदि यह स्थिति बनी रहती है, तो बैंकों के पास कम पूंजी रह जाती है, जिससे उनके लिए नये कर्ज देने में कठिनाई हो सकती है।
  • आर्थिक विकास में रुकावट: इसके साथ ही, यह समग्र आर्थिक विकास को भी प्रभावित करता है, क्योंकि बैंकों का कामकाज प्रभावित होने से नए निवेश और व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह कदम एक गंभीर मुद्दे की ओर इशारा करता है, जो भारतीय बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली की मजबूती के लिए जरूरी है। यदि कर्ज वसूली न्यायाधिकरणों के बंद होने की समस्या को शीघ्र सुलझाया नहीं गया, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। सरकार और अन्य संबंधित प्राधिकरणों को इस मुद्दे पर त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, ताकि ऋण वसूली की प्रक्रिया को तेज किया जा सके और भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में वित्तीय स्थिरता बनी रहे।

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