1 मई, नई दिल्ली: साइबर अपराध की अंधी दुनिया में एक बार फिर भारत की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अपनी सतर्कता और संवेदनशीलता का प्रमाण देते हुए ‘ऑपरेशन हॉक-2025’ के अंतर्गत बाल यौन शोषण के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क पर बड़ा प्रहार किया है। यह कार्रवाई अमेरिकी एजेंसियों से मिली महत्वपूर्ण सूचनाओं के आधार पर की गई, जिसमें ऑनलाइन माध्यमों से बच्चों के शोषण की भयावह तस्वीरें उभर कर सामने आईं।
सीबीआई की अंतरराष्ट्रीय परिचालन इकाई ने इस संदर्भ में सबसे पहले दिल्ली निवासी मुकुल सैनी के विरुद्ध एक गंभीर प्रकरण दर्ज किया। यह आरोप लगाया गया कि वर्ष 2023 से 2024 के बीच मुकुल ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म Discord पर “Izumi#9412”, “Izumi#7070”, “Deadddd#6873” और “Arisu” जैसे फर्जी नामों से एक अमेरिकी नाबालिग लड़की से संपर्क साधा।
चैटिंग के दौरान आरोपी ने उस मासूम को यौन-उत्तेजक वार्तालाप में फँसाया और उससे अश्लील तस्वीरें व वीडियो साझा करने को मजबूर किया। भयावह यह रहा कि मुकुल ने उसे धमकी दी कि यदि वह ऐसा करना बंद कर देगी, तो वह पहले से प्राप्त तस्वीरों को इंटरनेट पर वायरल कर देगा। यह एक पीड़ित मन पर स्थायी आघात पहुंचाने वाला अपराध था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, सीबीआई ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर छापे मारे, जो आरोपी से जुड़े हुए थे। इन छापों के दौरान डिजिटल सबूतों सहित कई साक्ष्य ज़ब्त किए गए हैं।
इसी तरह एक अन्य मामला मार्च 2024 में सामने आया था, जिसमें मंगलुरु निवासी शेख मुज्ज़ अहमद को गिरफ्तार किया गया। वह “heisenberg7343” नामक प्रोफाइल से Discord पर सक्रिय था। आरोपी ने एक अन्य अमेरिकी नाबालिग लड़की से संवाद कर उसे यौन संवाद में उलझाया, और बाद में उसकी अश्लील सामग्री प्राप्त की। इस मामले में भी पीड़िता को डर और दबाव में रखा गया, जिससे वह इन घिनौने हरकतों को सहने को मजबूर रही। सीबीआई ने इस दुस्साहसिक अपराध के प्रति ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति अपनाते हुए शेख मुज्ज़ अहमद को गिरफ्तार कर लिया।
ऑपरेशन हॉक-2025 केवल एक जांच नहीं, बल्कि बाल अधिकारों की रक्षा के लिए एक वैश्विक प्रयास है, जिसमें भारत की एजेंसियों ने संवेदनशीलता, तकनीकी दक्षता और अंतरराष्ट्रीय समन्वय का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है। ऑपरेशन हॉक-2025 ने यह स्पष्ट कर दिया है कि साइबर स्पेस में बाल यौन शोषण जैसे अपराध कितने गंभीर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले हुए हैं। भारत को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करे, जिससे अपराधियों में भय उत्पन्न हो और पीड़ितों को न्याय मिल सके। इसके साथ ही साइबर अपराध नियंत्रण के लिए तकनीकी संसाधनों को और मज़बूत किया जाए तथा अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया जाए। जब तक डिजिटल अपराधों पर प्रभावी लगाम नहीं लगेगी, तब तक समाज की सुरक्षा अधूरी रहेगी। अब समय है निर्णायक और सख्त कदमों का।
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