समग्र समाचार सेवा
बोधन (तेलंगाना), 17 जुलाई: एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी, वह एक गंभीर सुरक्षा विफलता का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर आरोप लगाया कि वह देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रही है।
तेलंगाना के बोधन में आयोजित एक जनसभा के दौरान ओवैसी ने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और कहा कि “अगर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा इस विफलता की जिम्मेदारी लेते हैं, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि इस आतंकी हमले का बदला लिया जाना चाहिए और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को जारी रखा जाना चाहिए।
चीन और पाकिस्तान को बताया असली खतरा
ओवैसी ने अपने संबोधन में सरकार को विदेश नीति और सुरक्षा रणनीति को लेकर भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने भाजपा नेताओं को चेताया कि देश को सबसे बड़ा खतरा चीन और पाकिस्तान से है, न कि आंतरिक विरोधियों से। उन्होंने कहा, “जो देश के लिए असली खतरा हैं, सरकार उन पर ध्यान नहीं दे रही, बल्कि अपने ही नागरिकों को निशाना बना रही है।”
यह बयान उस वक्त आया है जब पहलगाम हमला और सीमा पार से आतंकवाद फिर से केंद्र में आ चुका है। ओवैसी का यह वक्तव्य न सिर्फ सरकार की सुरक्षा नीति पर सवाल उठाता है, बल्कि विपक्षी दलों की ओर से बढ़ते दबाव का संकेत भी देता है।
वक्फ अधिनियम में संशोधन पर भी बरसे ओवैसी
जनसभा का मुख्य मुद्दा वक्फ (संशोधन) अधिनियम था, जिसे ओवैसी ने “काला कानून” कहा। उन्होंने मोदी सरकार पर अल्पसंख्यक समुदाय की संपत्तियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। उनका दावा था कि यह संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय के विरुद्ध है।
ओवैसी ने कहा, “सरकार वक्फ की संपत्तियों को हड़पने के लिए कानूनी रास्ता तैयार कर रही है। यह मुस्लिम समाज की आत्मनिर्भरता पर हमला है।” वक्फ कानून पर उनकी नाराज़गी, पहलगाम हमले पर केंद्र की प्रतिक्रिया और सीमा सुरक्षा की अनदेखी—तीनों मुद्दों ने इस जनसभा को एक तीखा राजनीतिक बयान मंच बना दिया।
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