‘शिक्षा और मूल्यों के माध्यम से भारत के पुनर्निर्माण’ कार्यक्रम रोहिणी में आयोजित

समग्र समाचार सेवा
रोहिणी,2 अप्रैल।
विक्रम संवत 2082 के नव वर्ष के अवसर पर, “भारत का पुनर्निर्माण: शिक्षा में आत्मनिर्भरता” विषय पर एक विचारोत्तेजक कार्यक्रम 31 मार्च 2025 को रोहिणी, सेक्टर-14 स्थित टेक्निया इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम संस्कार संगठन की उत्तरी दिल्ली शाखा द्वारा आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य छात्रों को भारत की प्राचीन और पवित्र ज्ञान परंपराओं से पुनः जोड़ने के प्रति जागरूक करना है।

इस अवसर के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता श्री विशाल जी थे। कार्यक्रम में सम्मानित अतिथियों में श्रीमती रेणु छीकरा (उप निदेशक, शिक्षा, दिल्ली सरकार), डॉ. राकेश राही (उप निदेशक, शिक्षा, दिल्ली सरकार), डॉ. अजय कुमार (निदेशक, टेक्निया इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज), और डॉ. राम कैलाश गुप्ता (अध्यक्ष, टेक्निया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस) शामिल थे। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षकों, बुद्धिजीवियों और छात्रों ने भाग लिया।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारतीय शिक्षा और ज्ञान की समृद्ध परंपरा के प्रति जागरूकता बढ़ाना था, साथ ही यह चर्चा करना कि वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता क्या है। कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं को यह समझाने का प्रयास किया गया कि वे शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में कैसे योगदान दे सकते हैं

प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता श्री विशाल जी ने अपने विचार साझा किए, जिससे न केवल श्रोता प्रभावित हुए, बल्कि भारतीय शिक्षा की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर गहरी चर्चा भी हुई।

अपने संबोधन में श्री विशाल जी ने कहा कि नई शिक्षा नीति (NEP) भारत के मूल्यों पर आधारित है, लेकिन शिक्षा प्रणाली में मूल्यों को गहराई से समाहित करने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने संस्कृति और परंपरा को शिक्षा के ढांचे में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षा केवल साक्षरता नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक व्यक्ति में निहित दिव्य क्षमता को पहचानने की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को छात्रों को अपने जीवन के उद्देश्य को समझने और जन्म-मरण के चक्र से मुक्त करने की प्रेरणा देनी चाहिए

श्री विशाल जी ने यह भी कहा कि सच्ची प्रगति और उत्थान केवल तब संभव है जब शिक्षा में मूल्यों और संस्कृति का समावेश हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि मूल्यों की नींव परिवार में रखी जाती है, और समाज की प्रगति के लिए शिक्षा और मूल्यों दोनों का सतत विकास आवश्यक है

कार्यक्रम के दौरान, श्रीमती रेणु छीकरा (उप निदेशक, शिक्षा, दिल्ली सरकार) ने स्कूलों और परिवारों से अपील की कि वे समान रूप से बच्चों में मूल्यों को विकसित करने की जिम्मेदारी लें

वहीं, डॉ. राकेश राही (उप निदेशक, शिक्षा, दिल्ली सरकार) ने कहा कि भारतीय मूल्यों की जड़ें “सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया” (सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त हों) और “वसुधैव कुटुंबकम्” (पूरा विश्व एक परिवार है) जैसे मंत्रों में निहित हैं। उन्होंने समाज, संस्कृति और नैतिक मूल्यों को शिक्षा के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।

वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को पुनः एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र बनाने तथा शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व को पुनः स्थापित करने के लिए शिक्षा प्रणाली में आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। उनका मानना था कि स्वदेशी ज्ञान को प्राथमिकता देकर और भारतीय शिक्षा प्रणाली में विश्वास बढ़ाकर इसे संभव बनाया जा सकता है

कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि नई शिक्षा नीति (NEP) छात्रों की बहुआयामी सोच और आलोचनात्मक विचारधारा विकसित करने में मदद कर रही है, जिससे न केवल उनका ज्ञान बढ़ेगा, बल्कि वे जिम्मेदार नागरिक भी बनेंगे।

कार्यक्रम का समापन मनीषा अग्रवाल द्वारा सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों और दर्शकों के प्रति आभार प्रकट करने के साथ हुआ।

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