अखंड भारत की नींव रखने वाले सरदार पटेल का देश सदैव ऋणी रहेगा: उपराष्ट्रपति

एकता नगर में सरदार @150 यूनिटी मार्च के समापन समारोह में उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन का संबोधन

  • उपराष्ट्रपति ने कहा,सरदार पटेल के नेतृत्व में 560 से अधिक रियासतों का एकीकरण हुआ, राष्ट्र सदैव उनका ऋणी रहेगा।
  • प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आत्मनिर्भर और शक्तिशाली भारत का सपना साकार हो रहा है।
  • भारत ने बीते दशक में आर्थिक, सामाजिक, सैन्य व रणनीतिक क्षेत्रों में तेज़ प्रगति की है।
  • युवाओं से नशामुक्त रहने, अनुशासन अपनाने और नवाचार द्वारा भारत को वैश्विक नेतृत्व दिलाने का आह्वान।

समग्र समाचार सेवा
एकता नगर (गुजरात), 6 दिसम्बर:भारत के उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन आज गुजरात के एकता नगर स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में सरदार @150 यूनिटी मार्च–राष्ट्रीय पदयात्रा के समापन समारोह में शामिल हुए। यह उनका पदभार ग्रहण करने के बाद महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल की धरती पर पहला आधिकारिक दौरा है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस ऐतिहासिक राष्ट्रीय पदयात्रा में 1,300 से अधिक यात्राओं के माध्यम से 14 लाख युवाओं की भागीदारी सरदार पटेल द्वारा जगाई गई एकता की ज्योति को और प्रखर बनाती है। उन्होंने कहा कि उनकी अपनी जीवन–यात्रा में की गई विभिन्न पदयात्राओं ने यह सिद्ध किया है कि यात्राएँ जनता से जुड़ने और राष्ट्रीय भावना को सुदृढ़ करने का प्रभावी माध्यम हैं।

उन्होंने 560 से अधिक रियासतों के एकीकरण में सरदार पटेल के योगदान को नमन करते हुए कहा कि राष्ट्र “लौह पुरुष” का सदैव ऋणी रहेगा क्योंकि उन्होंने अखंड भारत की नींव रखी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरदार पटेल का आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में वास्तविक रूप ले रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले दशक में विकास के सभी आयामों-आर्थिक, सामाजिक, सैन्य और रणनीतिक में उल्लेखनीय गति पकड़ी है तथा देश विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है।

युवाओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे भारत की असली शक्ति हैं। यदि वे अनुशासन, एकता और राष्ट्र–उद्देश्य को सर्वोपरि रखें तो भारत नवाचार और विकास का वैश्विक अग्रणी बन सकता है। उन्होंने युवाओं से नशे को ‘ना’ कहने, सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से उपयोग करने और साइबर सुरक्षा व डिजिटल साक्षरता में योगदान देने का अनुरोध किया।

महिलाओं की गरिमामयी उपस्थिति का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को परिवर्तनकारी पहल बताया जिसने महिला–सशक्तिकरण से आगे बढ़कर महिला–नेतृत्व वाले विकास को राष्ट्रीय एजेंडा बनाया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा क्षमताएँ कई गुना बढ़ी हैं। ऑपरेशन ‘सिंदूर’ को उन्होंने ऐसा निर्णायक क्षण बताया जिसने भारत की संप्रभुता की रक्षा और सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध उसके दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया।

उन्होंने चार नई श्रम संहिताओं को श्रमिक–हित में एक बड़े सुधार की संज्ञा दी, जो “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” की भावना को सशक्त बनाती हैं और देश के श्रम ढाँचे को आधुनिक, पारदर्शी और श्रमिक–केंद्रित रूप देती हैं।

समापन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर समाप्त यह राष्ट्रव्यापी पदयात्रा केवल सरदार पटेल की स्मृति को श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि नए भारत की आत्मा का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि अमृत काल में विकसित भारत @2047 की यात्रा में सरदार पटेल के आदर्श राष्ट्र के पथ–प्रदर्शक बने रहेंगे।

इससे पहले उन्हें एकता नगर में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया तथा उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित की। करमसद से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक 180 किलोमीटर की दस दिवसीय पदयात्रा आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है।

कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय मंत्रिगण और अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।

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