समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11अगस्त। केंद्रीय मत्स्यपालन और पशुपालन मंत्री, श्री परशोत्तम रुपाला ने आज नई दिल्ली में ‘फिश एंड सीफूड – 75 रूचिकर व्यंजनों का संग्रह’ नामक एक अनूठी कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग द्वारा मछली और सीफूड की घरेलू खपत को बढ़ावा देने और मछली की स्थानीय प्रजातियों को लोकप्रिय बनाने के लिए इस पहल को लाया गया है। इस किताब का विमोचन दोनों राज्य मंत्रियों डॉ. एल. मुरुगन और डॉ. संजीव कुमार बालयान, श्री जतीन्द्र नाथ स्वैन, सचिव, श्री सागर मेहरा संयुक्त सचिव (अन्तर्देशीय मात्स्यिकी), श्री जे बालाजी, संयुक्त सचिव (समुद्री मात्स्यिकी एवं सीवीओ), पीएमसी से लेकर पीएमएमएसवाई के अन्य विभागों के अधिकारी और विशिष्ट अतिथि सेलिब्रिटी शेफ श्री कुणाल कपूर की उपस्थिति में किया गया। कॉफी टेबल बुक और इसका विमोचन आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत की स्वतंत्रता के 75 गौरवशाली वर्षों के लिए चल रहे उत्सव का एक हिस्सा है। यह रेसिपी बुक, देश के जल निकायों में उपलब्ध मछलियों की विविधता और देश में मछली व्यंजनों की विरासत का एक आकर्षण है, जो पूरे देश की विविध कला और भोजन शैलियों का प्रतीक है।
कॉफी टेबल बुक के विमोचन समारोह में, श्री रूपाला ने विभाग को पुस्तक पर विचार करने और इसकी प्रस्तुति दिलचस्प रूप से करने के लिए बधाई दी, जो भारतीय ‘रसोई’, विभिन्न पारंपरिक मत्स्य त्योहारों और संस्कृतिक सार और एकीकरण को दर्शाता है। अपने भाषण में राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने कहा कि इस पुस्तक में तमिलनाडु के व्यंजनों को देखकर वे पुरानी यादों में खो गए और स्वादिष्ट तटीय मछली के व्यंजनों की याद ताजा कर दी। श्री जतीन्द्र नाथ स्वैन ने अपने गृह राज्य ओडिशा के बारे में भी बताया, जहां मछली दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे विभाग छोटे मछुआरों की मदद कर रहा है। सेलिब्रिटी शेफ कुणाल कपूर, जो अपने विशेष भारतीय व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध हैं, ने भी पुस्तक के अवधारणा की सराहना की, जिसमें मछली के नामों के साथ-साथ विभिन्न जगहों के स्थानीय व्यंजनों की जानकारी को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि किताब उन्हें उनके बचपन की यादों में ले गई, जब उनके पिता पूरे घर के लिए फिश फ्राई बनाते थे और बाद में देश की विभिन्न जगहों की विभिन्न मतस्य प्रजातियों और इसकी विविध पाक शैली से उनका परिचय हुआ।
मछली और सीफूड प्राचीन काल से ही भारतीय भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा हैं। सिंधु घाटी सभ्यता में एक महत्वपूर्ण आहार के रूप में मछली की खपत को दर्शाने वाले कई अवशेष प्राप्त हुए हैं। मछली अपने पोषण मूल्यों के कारण भारतीय आहार का एक अभिन्न अंग बन चुकी है। खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुमानों के अनुसार, 2030 तक भारत के मत्स्य उत्पादन में लगभग दो-तिहाई हिस्सा जलीय कृषि का होगा। यह इस ओर इंगित करता है कि रोजगार के मामले में मत्स्यपालन और जलीय कृषि दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण है, साथ ही साथ खाद्य और पोषण सुरक्षा के एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं, विशेष रूप से ग्रामीण आबादी के लिए।
मत्स्यपालन क्षेत्र के महत्व की पहचान करते हुए और इसका व्यापक, रणनीतिक और केंद्रित मध्यवर्तन करने के लिए, भारत सरकार ने मई 2020 में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के एक भाग के रूप में अब तक के सबसे ज्यादा निवेश 20,050 करोड़ रुपये के साथ अपनी प्रमुख योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) की शुरूआत की। इस योजना के अंतर्गत इस क्षेत्र के दीर्घकालीन और उत्तरदायी विकास को आगे बढ़ाने, मछुआरों, मत्स्य किसानों और मूल्य-श्रृंखला के अन्य सभी हितधारकों के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने की परिकल्पना की गई है। पीएमएमएसवाई में मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी का सम्मिश्रण, ट्रेसबिलिटी, कटाई के बाद की बुनियादी संरचना और क्षेत्र के समग्र विकास हेतु प्रबंधन करने की परिकल्पना की गई है, जिससे इस क्षेत्र को पूर्ण रूप से विकसित किया जा सके। विभाग का उद्देश्य निजी क्षेत्र की भागीदारी, नवाचार और उद्यमिता, ईज ऑफ बिजनेस और अन्य आवश्यक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार करना है।
विभाग द्वारा कॉफी टेबल बुक के माध्यम से घरेलू मछली की खपत को बढ़ावा देने और खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए मछली प्रोटीन को बढ़ावा देने वाले उद्देश्यों के साथ-साथ स्थानीय व्यंजनों और भारतीय मत्स्य पाक-शैली विरासत की विविधता को बढ़ावा देने की भी परिकल्पना की गई है।
श्री मेहरा, संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्यपालन) ने कहा कि पीएमएमएसवाई योजना के माध्यम से विभाग द्वारा घरेलू मछली की खपत को 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति से बढ़ाकर 12 किलोग्राम प्रति व्यक्ति करने, निर्यात को दोगुना करते हुए इसे एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने और उत्पादकता को 3 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 5 टन प्रति हेक्टेयर करने के लिए अनेक रणनीतिक पहल की जा रही है। उन्होंने सभी लोगों को अपने भोजन में मछली को शामिल करने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि यह प्रोटीन का एक किफायती स्रोत है, साथ ही साथ उन्होंने सभी लोगों को पुस्तक में शामिल किए गए व्यंजनों का प्रयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
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