भारत-चीन संबंधों में सुधार के संकेत: व्यापारिक साझेदारी पर जोर

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,24 नवम्बर।
चीन ने हाल ही में भारत के साथ अपने संबंधों को फिर से सुधारने और द्विपक्षीय व्यापार को प्राथमिकता देने की इच्छा जाहिर की है। सीमा पर लंबे समय से चल रहे तनाव और राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, चीन के इस संकेत को दोनों देशों के बीच आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक पहल माना जा रहा है।

चीन का रुख: व्यापारिक रिश्तों को बढ़ावा देना

चीन ने यह स्पष्ट किया है कि वह भारत के साथ सामान्य रिश्ते बहाल करने के लिए तैयार है। बीते कुछ वर्षों में, गलवान घाटी में हुए सैन्य संघर्ष और सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में खटास आ गई थी। इसके बावजूद, चीन ने यह संकेत दिया है कि वह इन मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाने और आर्थिक साझेदारी को प्राथमिकता देने का इच्छुक है।

भारत के लिए रणनीतिक अवसर या चुनौती?

भारत और चीन एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते लंबे समय से मजबूत रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में सीमा विवादों और राजनीतिक तनाव ने इन संबंधों पर गहरा असर डाला है।

  • सकारात्मक पहलू: यदि दोनों देश आपसी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने में सफल होते हैं, तो यह न केवल एशिया बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।
  • चुनौतीपूर्ण पहलू: चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने से भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि इससे उसकी सुरक्षा और रणनीतिक हितों को कोई नुकसान न हो।

व्यापारिक संबंधों की वर्तमान स्थिति

चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है। 2022-23 में भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार $135 बिलियन तक पहुंचा था। हालांकि, व्यापार में असंतुलन भारत के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि चीन से आयात भारत के निर्यात की तुलना में कहीं अधिक है।

चीन के संकेत का महत्व

चीन का यह संकेत ऐसे समय पर आया है, जब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को सुधारने और नए साझेदारों की तलाश में है। अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ बढ़ते तनाव के बीच, चीन के लिए भारत एक महत्वपूर्ण बाजार और रणनीतिक साझेदार साबित हो सकता है।

भारत की प्रतिक्रिया और रणनीति

भारत ने हमेशा से चीन के साथ बातचीत का रास्ता खुला रखा है, लेकिन उसने अपनी संप्रभुता और सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि चीन के साथ व्यापारिक संबंध सुधारते समय उसकी घरेलू अर्थव्यवस्था, रणनीतिक उद्योग और सुरक्षा हितों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

  • सीमा विवाद का समाधान: व्यापारिक रिश्तों में सुधार से पहले भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि सीमा विवाद का समाधान शांतिपूर्ण और स्थायी तरीके से हो।
  • आत्मनिर्भर भारत पर फोकस: चीन से आयात पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को घरेलू उत्पादन और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों को और मजबूत करना होगा।

निष्कर्ष

चीन द्वारा भारत के साथ संबंध सुधारने की पहल को एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यह केवल तभी सफल होगा जब दोनों देश विवादों को सुलझाने के लिए गंभीर और पारदर्शी प्रयास करेंगे। भारत को अपने दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनानी होगी, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध एक नए और बेहतर चरण में प्रवेश कर सकें।

Comments are closed.