समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,5 मई । आज है वो दिव्य दिन, जब पृथ्वी पर पुण्य की प्रतीक, अटल धैर्य और नारी शक्ति की अमिट मिसाल — माता सीता का प्राकट्य हुआ था। सीता नवमी, जिसे सीता जयंती या जानकी नवमी भी कहा जाता है, पूरे भारत में आज 5 मई को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जा रही है।
जनकपुरी की राजकुमारी और भगवान श्रीराम की अर्धांगिनी देवी सीता का जन्म वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। यही कारण है कि यह दिन सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए व्रत, पूजा और साधना का पर्व बन गया है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, नवमी तिथि का प्रारंभ आज 5 मई को सुबह 7:35 बजे हुआ और यह 6 मई को सुबह 8:38 बजे तक प्रभावी रहेगी।
सीता नवमी पूजन का सर्वाधिक शुभ मुहूर्त है: 11:18 AM से 1:53 PM तक। इसी समय मां जानकी की विशेष आराधना करने से असीम पुण्य की प्राप्ति मानी जाती है।
शास्त्रों में वर्णित है कि जो भक्त इस दिन व्रत रखकर सीता-राम की पूजा करते हैं, उन्हें सोलह महादानों (16 Mahaadaan) के बराबर फल प्राप्त होता है। साथ ही, यह व्रत सभी तीर्थों की यात्रा के समकक्ष माना गया है।
माता सीता का जीवन त्याग, सच्चाई और सहनशीलता का पर्याय है। उनके चरणों में भक्ति अर्पित कर मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति पा सकता है और आध्यात्मिक उत्थान की ओर बढ़ सकता है।
भक्तजन आज के दिन निम्नलिखित सिद्ध मंत्रों का 11 बार जाप कर सकते हैं:
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ॐ सीतायै नमः
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ॐ श्री सीता रामाय नमः
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श्री जानकी रामाभ्यां नमः
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ॐ जनकनन्दिन्यै विद्महे रामवल्लभायै धीमहि। तन्न: सीता प्रचोदयात्।।
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ॐ जनकजाये विद्महे रामप्रियाय धीमहि। तन्नो सीता प्रचोदयात्।।
इन मंत्रों के जाप से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, तथा शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।
भक्त आज माता सीता की मूर्ति अथवा चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित कर, दीप जलाकर, रामचरितमानस या सीताराम कथा का पाठ करें। उपवास रखते हुए संयम और श्रद्धा से पूजा करना इस दिन का प्रमुख तत्व है।
सीता नवमी न केवल एक पर्व है, बल्कि भारतीय स्त्रीत्व, संस्कार और धर्म की जीवंत अभिव्यक्ति है।
जो माता सीता के चरणों में शीश नवाता है, उसके जीवन में अंधकार टिक नहीं पाता।
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