सुप्रीम कोर्ट ने JEE एडवांस्ड उम्मीदवारों को दी बड़ी राहत, लेकिन दो बार अटेम्प्ट का नियम बरकरार

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,10 जनवरी।
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने JEE एडवांस्ड (Joint Entrance Examination Advanced) के उम्मीदवारों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कुछ विशेष परिस्थितियों वाले छात्रों को परीक्षा में बैठने की इजाजत दी है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि JEE एडवांस्ड के लिए दो बार अटेम्प्ट का नियम पूर्ववत रहेगा।

क्या है JEE एडवांस्ड का नियम?

JEE एडवांस्ड परीक्षा, भारत के प्रतिष्ठित IITs (Indian Institutes of Technology) में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए उम्मीदवार को अधिकतम दो प्रयास (Attempts) की अनुमति होती है। यह नियम छात्रों पर अतिरिक्त दबाव तो बनाता है, लेकिन परीक्षा की गंभीरता और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए इसे जरूरी भी माना जाता है।

किसे मिली राहत?

सुप्रीम कोर्ट ने उन छात्रों को राहत दी है जिन्होंने कुछ असाधारण परिस्थितियों के कारण परीक्षा नहीं दी या अटेम्प्ट गवां दिया। इनमें कोविड-19 महामारी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं या अन्य आपातकालीन परिस्थितियाँ शामिल थीं। कोर्ट ने माना कि इन परिस्थितियों में फंसे छात्रों को एक अतिरिक्त मौका मिलना चाहिए।

क्या था छात्रों का पक्ष?

कई छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने अनुरोध किया था कि कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने परीक्षा देने का अवसर खो दिया। उनका कहना था कि महामारी जैसी असाधारण स्थिति में नियमों में लचीलापन होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की मांग पर विचार करते हुए आंशिक राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि जिन छात्रों ने मजबूरी में परीक्षा नहीं दी थी, उन्हें एक अतिरिक्त मौका दिया जाएगा। लेकिन साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सामान्य परिस्थितियों में JEE एडवांस्ड के दो अटेम्प्ट का नियम जारी रहेगा।

इस फैसले का असर

  • प्रभावित छात्रों को राहत: जिन छात्रों ने महामारी या अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में अटेम्प्ट गवां दिया, उन्हें अब परीक्षा देने का अवसर मिलेगा।
  • परीक्षा की सख्ती बरकरार: दो बार अटेम्प्ट का नियम लागू रहने से परीक्षा की गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी।
  • अन्य छात्रों पर प्रभाव: यह फैसला उन छात्रों के लिए भी सीख है जो समय पर तैयारी नहीं कर पाते। कोर्ट ने साफ किया कि नियमों में केवल असाधारण मामलों में ही बदलाव हो सकता है।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला संतुलित नजर आता है। इससे उन छात्रों को राहत मिली है जो असाधारण परिस्थितियों में परीक्षा नहीं दे पाए, लेकिन साथ ही परीक्षा की गंभीरता और अनुशासन बनाए रखने के लिए दो बार अटेम्प्ट का नियम भी बरकरार रखा गया है। यह फैसला शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और न्यायप्रियता को दर्शाता है।

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