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कुमार राकेश

सरदार ऊधम सिंह को शत शत नमन- 31 जुलाई/बलिदान दिवस

प्रस्तुति -:कुमार राकेश ऊधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ था. बचपन में उनका नाम शेर सिंह रखा गया था. छोटी उम्र में में ही माता-पिता का साया उठ जाने से उन्हें और उनके बड़े भाई मुक्तासिंह को…

मुंशी प्रेमचंद-गाँवों के साथ जन जन कथाओ के अनूठे शिल्पकार

प्रस्तुति -कुमार राकेश 31 जुलाई 1880/जन्म दिवस मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को उत्तर प्रदेश के जिला वाराणसी के गाँव लमही में हुआ था. उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनकी शिक्षा का आरंभ उर्दू, फारसी पढ़ने से हुआ और…

पांच लाख श्लोकों वाले “महाभारत”का सार मात्र नौ पंक्तियों में !!

प्रस्तुति -: कुमार राकेश चाहे आप हिंदू हों या किसी अन्य धर्म से,चाहे आप महिला हों या पुरुष, चाहे आप गरीब हों या अमीर, चाहे आप अपने देश में हों या विदेश में, संक्षेप में कहा जाये तो आप किसी जाति , धर्म ,वर्ग से हो यानी यदि आप एक इंसान हैं,…

खेती और किसान के महाकवि घाघ की कहावतें और आज का भारत !

खेती और किसान के महाकवि घाघ की कहावतें और आज का भारत ! प्रस्तुति -कुमार राकेश महाकवि घाघ की कई कहावतें व कहानियाँ आज भी सटीक है - तभी तो आप कहते सुने जाते है - बड़े “घाघ “हो आप ! पुराने समय में जब आधुनिक तकनीकों का प्रचलन नहीं…

*कुएं जल की शुद्धता और कर्म!

प्रस्तुति- कुमार राकेश एक बार एक गाँव के कुवें के पानी से बदबू की समस्या ले कर गांववाले एक संत के पास पहुँचे। जब संत ने गाँव के लोगों को देखा तो पूछा कि "कैसे आना हुआ।" तो लोगों ने कहा, "महात्मा जी गाँव भर में एक ही कुंआ है और कुएँ का…

ढपोर शंख और कांग्रेस

प्रस्तुति .कुमार राकेश बहुत प्राचीन काल की बात है। एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे। अब प्राचीन काल था, ब्राह्मण थे, तो जाहिर सी बात है गरीबी ही होंगे। ब्राम्हण देवता भिक्षा मांग कर अपना जीवन यापन करते थे। ब्राह्मण देवता का एक…

भारत का एकमात्र मुग़ल प्रभाव मुक्त राज्य -राजस्थान

प्रस्तुति -:कुमार राकेश राजस्थान का एक भी जिला मुगलों के नाम पर नहीं हैं और शेष भारत में ढेरों जिले हैं जो मुगलों के नाम पर हैं.... कारण सिर्फ यह है कि राजपूताने पर मुगलों का कभी वर्चस्व हुआ ही नहीं,,,, और ये बात विद्यालयों और इतिहास में…

हमारी राजभाषा -राष्ट्र भाषा हिन्दी -जो है भारत के माथे की बिंदी!

*कुमार राकेश हिन्दी को भारतीय संविधान में राजभाषा का दर्जा दिये जाने के बावजूद आज़ भी सरकारी काम काज में हिंदी उपेक्षित भाव में है -परंतु उर्दू या अन्य भाषा अपने भाव में हैं । हिंदी को और मज़बूत करने व प्रचलन में बढ़ावा देने के किए हमने…

बिखरते रिश्ते का सच …

बिखरते रिश्ते का सच … प्रस्तुति -:कुमार राकेश मोहन बेटा ! मैं तुम्हारे काका के घर जा रहा हूँ . क्यों पिताजी ? और तुम आजकल काका के घर बहुत जा रहे हो ...? तुम्हारा मन मान रहा हो तो चले जाओ ... पिताजी ! लो ये पैसे रख लो ,…

कल की चिंता क्यों ?

कल की चिंता क्यों ? कुमार राकेश एक राजा की पुत्री के मन में वैराग्य की भावनाएं थीं। जब राजकुमारी विवाह योग्य हुई तो राजा को उसके विवाह के लिए योग्य वर नहीं मिल पा रहा था। राजा ने पुत्री की भावनाओं को समझते हुए बहुत सोच-विचार…