Browsing Tag

Tridib Raman

फुस्स क्यों है कांग्रेस का मीडिया मैनेजमेंट

’जब धू-धू कर जले थे सारे अरमान मेरे माचिस की डिब्बियों पर थे निशान तेरे’ अपने अस्तित्व को बचाए रखने की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस को भी बखूबी इस बात का इल्म है कि इस बदलते दौर की सियासी लड़ाई के दंगल में उसके सामने जो योद्धा खड़ा है वह…

शिंदे की राह क्यों आसान नहीं

’इन चुप्पियों के हाथ कैसे रंगे हैं खून से क्षत-विक्षत शब्द पड़े हैं जो हर तरफ मौन से’    एकनाथ शिंदे के सिर अभी-अभी तो सिरमौर का ताज सजा है, गाजे-बाजों का शोर भी हर  ओर गुंजायमान है, फिर भी क्या बात है कि चुप सन्नाटों की बतकहियां…

क्या फिर से टल गई है राहुल की ताजपोशी?

 ’तेरी चाहतों का इस कदर असर है, तेरे सिवा कोई और नहीं जहां तक ये सहर है ज़िद है कि तेरे लिए फलक से चांद तोड़ लाऊं, जमीं से आसमां का जो ये सफर है’ कहां तो तय था कि 22 अगस्त को राहुल गांधी बतौर अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी की कमान…

नीतीश भाजपा की मजबूरी क्यों हैं?

त्रिदीब रमण ’कहां तो हौसला था कि आसमां से सूरज उतार लाएंगे तेरी जुल्फों में उलझे सावन से हम भी बहार लाएंगे पर नए दौर का यह मौसम नया है दोस्त मैं तुझमें हूं पर मुझमें तू कहां है’ भाजपा 2024 के आम चुनावों के लिए अभी से कमर कस चुकी…

क्या कांग्रेस की सारी पीड़ा हर लेंगे पीके

  ’कितनी मुद्दत से सोए नहीं हो तुम सारा हम हिसाब छोड़ आए हैं ज़िद करके हम भी तुम्हारी आंखों में चंद ख्वाब छोड़ आए हैं’ पिछले कुछ दिनों के अंतराल में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की गांधी…

बड़े बेआबरू होकर निकले तेरे कूचे से

तेरे कूचे से अपनी याराना पुरानी कहां काम आई निकाले गए ऐसे जैसे तुझसे कोई नाता न था हरजाई’ बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा को हाईकमान ने यूं अचानक 14 अप्रैल को दिल्ली तलब कर उनसे…

क्या वसुंधरा पर डोरे डाल रही है आप?

  ’हम तो कड़ी धूप में तेरी ओर नंगे पांव चले चले तुम भी पर संभल कर छांव-छांव चले’ राजस्थान की प्रखर भगवा नेत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का विद्रोह पिछले काफी समय से आकार ले रहा है, इस बात की…

क्या गांधी परिवार का रुतबा कम हुआ है?

  ’हमारे हौसले कम न थे, रगों में दौड़ते खून में भी रफ्तार थी भले कितनी ही कुंद हमारे तलवारों की धार थी दुश्मन था सामने और दिख रही हमारी हार थी सेनापति, हम न छोड़ते रणभूमि, सुनाई देती जो तेरी…

क्या योगी को अपनों से खतरा है?

‘मेरे मन के कोने के ठहरे अंधेरों में जुगनुओं सा चमकता तू तेरे हाथों में खंजर की है जुस्तजू और तिल-तिल मरता मैं’ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्या इस बार के चुनावी जंग में अपनी विरक्त…

पीएम की सुरक्षा में चूक आखिर कहां हुई?

“तेरी आंखों में ही हर शाम गुजारी है पर, अपने हिस्से का उजाला मैं साथ लाया हूं” देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक एक गंभीर मामला है, पर आलोचना की जद में सिर्फ पंजाब सरकार या उनकी पुलिस ही क्यों? हमारी खुफिया एजेंसियां क्या कर…