वो शाम भी अजीब थी…

इंदौर  की एक शाम आवाज़ के जादूगर हरीश भिमानी के साथ...

*कुमार राकेश

शायद आपको याद हो,वो खनकती हुयी ऊर्जान्वित ,भावो से ओत-प्रोत,वो अविस्मरणीय,ओजस्वी आवाज़:~~~~~~~~******.

–:मै समय हूँ:– -महाभारत का वो सूत्रधार – हाँ,वही वो आवाज़ जो आज भी आपके दिल से होते हुए आपके दिमाग में स्थायी घर बनाया है,बनाती रही है और भविष्य में भी बनाती रहेगी,आख़िरकार वो “समय” जो हैं .

“समय” वाली उस आवाज़ का  नाम तो आपको  जरुर पता होगा-जी हाँ -वो आवाज़ अपने ,हर दिल अज़ीज़,ध्वनि-सागर  के अनुपम जादूगर,मर्मज्ञ ,हरफनमौला,सदाबहार हरीश भिमानी जी  की हैं.

हरीश जी एक लेखक, प्रस्तोता, आवाज के कलाकार, दस्तावेजी सिनेमा व कोर्पोरेट फिल्मों के निर्माता हैं। इन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार २०१६, में वोईस ओवर/नेरेशन श्रेणी में राष्ट्रपति पदक प्रदान किया गया। इन्होनें भारतीय टीवी धारावाहिक महाभारत (बी.आर.चोपड़ा कृत) में सूत्रधार ‘समय’ को आवाज दी और देश में सर्वाधिक पहचाने जाने वाली आवाज बन गए। इन्हें 22 हज़ार  से अधिक रिकोर्डिंग का जोरदार व असरदार अनुभव है।

1980 के दशक के बाद से इन्होने अग्रणी सार्वजनिक कार्यक्रमों और समारोहों की मेजबानी के अलावा कई वृत्तचित्रों, कॉर्पोरेट फिल्मों, फीचर फिल्मों, टीवी और रेडियो विज्ञापनों, खेल, संगीत एल्बमों में अपनी आवाज दी है। मीडिया ने हरीश भाई  को’भारत के सबसे मान्यता प्राप्त आवाज़ों में से एक’ और ‘ए राइटर विद ए ज़िंग’ के रूप में वर्णित किया है।

हरीश जी भिमानी ने अपना व्यावसायिक जीवन एक  टीवी समाचार वाचक के रूप में बोम्बे टीवी से शुरुआत की थी. बाद में  महाभारत धारावाहिक में सूत्रधार ‘समय’ के रूप में आवाज दी. इन्होने खानदान, सुबह, इनकार, सुकन्या, ग्रहण जैसे टी वी धारावाहिक भी लिखे। इसके अलावा 22 हज़ार से ज्यादा  जितने देसी-विदेशी  व्यावसायिक  विज्ञापनों व फीचर फिल्मों में अपनी आवाज दी है।

आज हरीश भाई  करीब 80 साल के हैं परन्तु उनकी उम्र और ऊर्जा 30 वर्ष के समतुल्य  दिखती हैं. अपरिमेय ऊर्जा के अनुपम स्त्रोत है हरीश भाई  !!

पिछले दिनों 14-16 अप्रैल 2023 तक इंदौर में आयोजित 15वें भारतीय पत्रकारिता महोत्सव 2023 के अवसर पर उनसे एक लम्बे अन्तराल के बाद मुलाकात हुयी. फिर रात्रि भोजन साथ में. हरीश भाई वही अपने पुराने चिर परिचित अंदाज़ में  भोजन के साथ  हंसी ,ठिठोली,हंसिकाएं,नक़ल,शक्ल,मिमिक्री जैसे कईआनंददायक तत्वों का रसपान कराया. उस रात्रि भोजन का स्वाद 8 गुना बेहतर हो गया.जरा सोचिये,उस  अनुपम ऊर्जा  शक्ति  का कमाल !!!!

बाद में उस  ऐतिहासिक चिंतन,मनन ,मंथन,क्रंदन,हर्षित,विस्मित  बैठक में शकील अखतर ,आलोक बाजपेयी ,अजित राय जैसे महानुभाव भी शरीक हो गए और वो शाम न भूलने वाली यादगार रात  बन गयी.हमने गुनगुनाने की कोशिश की -वो शाम भी अजीब थी,ये शाम भी अजीब है ….हम सब बड़े सुस्त थे,परन्तु हरीश भाई से मिलने के बाद चुस्त-दुरुस्त व मस्त से ही गए थे.

हरीश भाई साहेब ने हम सबको खूब गुदगुदाया,हंसाया ही नहीं ,बल्कि कई बार ठहाके लगाने को मजबूर किया.उन्होंने अपनी ओजपूर्ण आवाज़ शैली में अख़बार के प्रिंट  युग से टीवी युग से ऑनलाइन,डिजिटल युग तक के सफर को एक अद्भुत क्रिया  चित्रण के साथ हम सभी को रूबरू करवाया.उनकी हर अदा,हर शब्द प्रेरणापूर्ण तो थी ही.सम्पूर्ण ऊर्जा के सभी तरंगो को भी समेटे हुए एक नई कहानी लिख गयी थी.शायद यह लेखन उसी ऊर्जा का अद्भुत परिणाम हैं  !

वास्तव  में वो शाम, एक अजब-गज़ब शाम,न भूलने वाली ऐतिहासिक शाम के साथ हंसी-ठहाकों के साथ पूर्ण ऊर्जा वाली रंग-बिरंगी रात्रि में कब बदल गयी ,हम सबको पता ही नहीं चला.

जी हाँ ,हरीश भाई की वो शाम ,हर्ष-ख़ुशी की शाम से साहित्य के सभी नौ रसो  का पान करवा गयी,हम सब संगीत के सभी राग, सुरों के  सभी बोल और ढोल व मृदंग के सभी तालो से भी रूबरू हो गए थे उस शाम को,जिसकी हम सबने कभी कल्पना तक नहीं की थी. हम सब उनके अनुपम अपनेपन के भाव में विभोर हो गए !!!!

शायद समय का ठहर जाना इसे ही तो कहते हैं.तभी तो किसी ने कहा है -वो समय ,जरा रुक जा ,ठहर जा ,मुझे देख लेने दो मेरे उसे प्रेम को ,जो हमें हर वक़्त सिर्फ ऊर्जा ही देता है ,बिना कुछ लिए-दिए ..परन्तु हमें पता हैं कि समय व धारा किसी के लिए नहीं रूकती ,जो उस दिन कुछ पल के लिए रोक दी गयी थी हरीश भाई के द्वारा …जिसके लिए हम सभी उनके आभारी है व सदैव रहेंगे

उनकी  ऊर्जापूर्ण आवाज़ तब भी गूंजती थी,आज भी गूंजती है,कल भी गूंजेगी और चिरंतन गूंजती रहेंगी .

ईश्वर उनको लम्बी,स्वस्थ व सुखी जीवन प्रदानं करें !!!!!!!!!

परम स्नेही,परम प्रिय,परम आदरणीय  श्री हरीश भाई साहब का  हार्दिक अभिनन्दन व नमन !!!!

जय हो ~!! जय हिन्द ! जय भारत !!

*कुमार राकेश

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