भारत में समग्र शिक्षा हेतु बहु-विषयक दृष्टिकोण को लागू करके हितधारकों के लिए गीता-आधारित नीडोनोमिक्स को समझें और अपनाएं: प्रो एम.एम. गोयल

समग्र समाचार सेवा
जयपुर, 15अप्रैल। भारत में समग्र शिक्षा हेतु बहु-विषयक दृष्टिकोण को लागू करके हितधारकों के लिए गीता-आधारित नीडोनोमिक्स को समझें और अपनाएं ।“ ये शब्द पूर्व कुलपति एवं नीडोनोमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. मदन मोहन गोयल ने कहे । वह यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर द्वारा आयोजित एनईपी ओरिएंटेशन एंड सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम (ऑनलाइन मोड) के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। उनका विषय ” एनईपी में समग्र शिक्षा: हितधारकों हेतु गीता-आधारित नीडोनोमिक्स की नीडो-एजुकेशन ” था । डॉ. चंद्राणी सेन उपनिदेशक एमएमटीटीसी ने स्वागत भाषण दिया I डॉ. स्वप्निल भारद्वाज सह संयोजक ने प्रो एम.एम. गोयल की उपलब्धियों पर एक प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया।

पूर्व वीसी डॉ. गोयल ने बताया कि समग्र शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तियों को नीडो-सॉल्यूशंस के साथ सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है।

प्रो. गोयल ने कहा कि समग्र शिक्षा हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पर्याप्त बनाने हेतु हमें इसके कार्यान्वयन में चुनौतियों को कम करने के एक अच्छी तरह से परिभाषित सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मॉडल को अपनाना होगा।

उनका का मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में अनिवार्य 360 डिग्री चार चतुर्थांशों में समग्र शिक्षा जिम्मेदारी, जवाबदेही और नैतिकता (आरएएम -राम ) के साथ भारतीय ज्ञान प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रीय अखंडता, सामाजिक-सांस्कृतिक और संवैधानिक मूल्यों को सुनिश्चित करती है।

नीडोनोमिस्ट गोयल ने बताया कि समग्र शिक्षा के लिए हमें गीता आधारित विचार नीडोनोमिक्स को समझना और अपनाना होगा ।

प्रो. गोयल ने कहा कि सामान्य ज्ञान दृष्टिकोण के रूप में नीडोनोमिक्स की नीडो-शिक्षा समग्र शिक्षा

हेतु आवश्यक और पर्याप्त शर्त है।

प्रो. गोयल ने समझाया कि सहयोग के साथ शैक्षणिक नेतृत्व की एक नई कहानी लिखने के लिए हमें स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्य-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) वैश्विक नागरिक बनने हेतु साहसी और उत्साही होना चाहिए ।

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