उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: बीजेपी में उम्मीदवार को लेकर तेज हुई अटकलें, शेषाद्रि चारी और आचार्य देवव्रत सबसे आगे

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13 अगस्त: उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन की अंतिम तिथि नजदीक आने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में संभावित उम्मीदवार के नाम को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।
लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों द्वारा चुने जाने वाले इस पद पर एनडीए का पलड़ा भारी माना जा रहा है, क्योंकि राज्यसभा में एनडीए पूर्ण बहुमत में है और कई मनोनीत सदस्य औपचारिक रूप से बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।

पीएम मोदी के फैसले पर टिकी निगाहें

बीजेपी के सहयोगी दलों ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चयन पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा पर छोड़ दिया है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी जिस भी नाम को अंतिम रूप देंगे, उनका उपराष्ट्रपति बनना लगभग तय होगा।

21 अगस्त को नामांकन की आखिरी तारीख है और 9 सितंबर को मतदान व नतीजों की घोषणा होगी। इस बीच पार्टी के भीतर चर्चाएं तेज हो गई हैं और संकेत मिल रहे हैं कि पीएम मोदी एक बार फिर ऐसा नाम चुन सकते हैं जो सबको चौंका दे।

शेषाद्रि चारी — संभावित प्रमुख उम्मीदवार

बीजेपी के अंदरूनी चर्चाओं में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और आरएसएस पृष्ठभूमि वाले शेषाद्रि चारी का नाम प्रमुखता से उभर रहा है।
चारी आरएसएस के अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गेनाइज़र के संपादक रह चुके हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति व सामरिक मुद्दों के जानकार माने जाते हैं। वे चीन, पाकिस्तान और हिंद महासागर से जुड़े विषयों पर पार्टी और संघ की विचारधारा के आधार पर स्पष्ट रुख रखने के लिए जाने जाते हैं।
अगर बीजेपी उन्हें उम्मीदवार बनाती है तो पार्टी अध्यक्ष के चयन में भी शीर्ष नेतृत्व को ज्यादा लचीलापन मिलेगा, क्योंकि इस पद पर संघ-प्रशिक्षित चेहरे के बजाय राजनीतिक रूप से संतुलित नाम लाने की संभावना होगी।

आचार्य देवव्रत — जातीय समीकरण का संतुलन

दूसरे संभावित नाम के तौर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का जिक्र किया जा रहा है। वे हरियाणा के समालखा से हैं और जाट समुदाय से आते हैं, जिससे पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी थे।
आचार्य देवव्रत हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं और शिक्षा व सामाजिक सुधार के मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाई है। जातीय समीकरणों को साधने के लिहाज से उनका नाम बीजेपी के लिए अहम हो सकता है।

धनखड़ के इस्तीफे के बाद खाली हुई कुर्सी

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था। तब से वे सार्वजनिक रूप से सक्रिय नहीं हैं।
बीजेपी के रणनीतिकार अब ऐसे उम्मीदवार की तलाश में हैं जो न केवल राजनीतिक रूप से मजबूत हो, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर पार्टी की स्थिति को मजबूती से पेश कर सके।

अब जबकि नामांकन की आखिरी तारीख में केवल कुछ दिन बचे हैं, सबकी नजर पीएम मोदी और जेपी नड्डा पर है। चाहे शेषाद्रि चारी हों या आचार्य देवव्रत, जो भी नाम सामने आएगा, वह न केवल बीजेपी बल्कि देश की राजनीति में अगले पांच वर्षों के लिए अहम भूमिका निभाएगा।

 

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