समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,4 अप्रैल। संसद के उच्च सदन राज्यसभा ने गुरुवार देर रात वक़्फ़ संशोधन विधेयक को मंज़ूरी दे दी। विधेयक के पक्ष में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े। इससे पहले यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका था। राज्यसभा से भी मंजूरी मिलने के साथ ही यह विधेयक अब कानून बनने के अंतिम चरण में पहुंच गया है।
यह विधेयक सरकार द्वारा वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन और निगरानी को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। सरकार का कहना है कि इससे वक़्फ़ बोर्डों की कार्यप्रणाली में सुधार होगा और संपत्तियों के दुरुपयोग पर रोक लगेगी।
गृह मंत्री अमित शाह और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रीजीजू ने इस विधेयक को पेश करते हुए इसके पक्ष में तर्क रखे। अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक वक़्फ़ संपत्तियों को लेकर वर्षों से चली आ रही अनियमितताओं को दूर करेगा और इससे मुस्लिम समुदाय को भी लाभ पहुंचेगा।
हालांकि विपक्ष ने इस विधेयक पर गंभीर आपत्तियाँ दर्ज कीं। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और कुछ अन्य दलों ने आरोप लगाया कि यह संशोधन अल्पसंख्यकों के अधिकारों में कटौती करने वाला है और इससे वक़्फ़ बोर्डों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। कई विपक्षी सांसदों ने इस पर चर्चा के दौरान कहा कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से अल्पसंख्यक संस्थाओं पर नियंत्रण बढ़ाना चाहती है।
इस विधेयक पर चर्चा का सिलसिला लंबे समय तक चला और आखिरकार गुरुवार देर रात 2 बजकर 32 मिनट पर मतदान हुआ। रात के इस अनोखे समय में भी संसद की कार्यवाही में जोश और गंभीरता दोनों देखने को मिली। गृहमंत्री अमित शाह और मंत्री किरण रीजीजू ने पिछले 24 घंटों में संसद में 28 घंटे से ज्यादा वक्त बिताया, जो सरकार की सक्रियता को दर्शाता है।
वक़्फ़ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों के तहत:
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वक़्फ़ संपत्तियों की पहचान, उपयोग और रखरखाव को लेकर सख्त नियम लागू किए जाएंगे।
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वक़्फ़ बोर्डों की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।
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संपत्तियों के गैरकानूनी कब्जे और ट्रांसफर को रोकने के लिए कड़े प्रावधान जोड़े गए हैं।
संसद की कार्यवाही में देर रात तक चली बहस और वोटिंग को राजनीतिक विश्लेषक ऐतिहासिक मान रहे हैं। ऐसे उदाहरण कम ही देखने को मिले हैं जब संसद की कार्यवाही सुबह के तीन बजे तक चली हो। सांसदों की संलग्नता और चर्चा की गुणवत्ता ने लोकतांत्रिक मूल्यों को और भी सशक्त किया।
वक़्फ़ संशोधन विधेयक का पारित होना एक अहम राजनीतिक और सामाजिक घटनाक्रम है। जहां सरकार इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे अधिकारों में हस्तक्षेप मान रहा है। अब देखना होगा कि कानून बनने के बाद इसका प्रभाव ज़मीनी स्तर पर कैसे देखने को मिलता है।
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