कोयंबटूर की धरती पर बजा लोकतंत्र का स्वागत-संगीत: माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ और डॉ. सुदेश धनखड़ का अभूतपूर्व अभिनंदन

कोयंबटूर (तमिलनाडु), आज — तमिलनाडु की औद्योगिक राजधानी कोयंबटूर ने आज एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनते हुए गर्व और उत्साह से भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ और उनकी धर्मपत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ का जबरदस्त स्वागत किया। हर्षोल्लास से भरे इस आयोजन ने न सिर्फ लोकतांत्रिक गरिमा को ऊँचाइयाँ दीं, बल्कि कोयंबटूर के लोगों के दिलों में एक यादगार छाप छोड़ दी।

हवाई अड्डे से लेकर कार्यक्रम स्थल तक, हर कोना स्वागत के रंग में रंगा हुआ था। पारंपरिक नादस्वरम की गूंज, फूलों की वर्षा और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ – सब कुछ इस आगमन को एक भव्य जनोत्सव में बदल चुका था।

माननीय उपराष्ट्रपति और डॉ. सुदेश धनखड़ का स्वागत करने वालों में सबसे अग्रणी रहीं तमिलनाडु सरकार की माननीय मंत्री श्रीमती एन. कयालविझी सेल्वराज, जिन्होंने आत्मीयता और सौहार्द के साथ दोनों महानुभावों का पारंपरिक अंदाज़ में अभिनंदन किया। साथ ही, लोकसभा सांसद डॉ. गणपति पी. राजकुमार भी स्वागत दल में मौजूद रहे, जिनकी उपस्थिति ने इस समारोह को और भी गरिमामय बना दिया।

राजनीति, प्रशासन और संस्कृति — इन तीनों की त्रिवेणी आज कोयंबटूर में देखने को मिली। मंच पर जहाँ एक ओर लोकतंत्र के उच्च पद पर आसीन नेता खड़े थे, वहीं दूसरी ओर स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से यह संदेश दिया कि तमिलनाडु की सांस्कृतिक आत्मा अब भी जीवंत और गौरवशाली है।

सूत्रों की मानें तो उपराष्ट्रपति धनखड़ कोयंबटूर प्रवास के दौरान शिक्षा, टेक्सटाइल इंडस्ट्री और युवाओं से जुड़े कई मुद्दों पर संवाद करने वाले हैं। यह दौरा न सिर्फ प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक समरसता की एक मिसाल भी बनता जा रहा है।

डॉ. सुदेश धनखड़ ने भी स्थानीय महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों की प्रशंसा करते हुए कहा कि तमिलनाडु की महिलाएं आत्मनिर्भर भारत की सच्ची प्रेरणा हैं।

कोयंबटूर की धरती ने आज दिखा दिया कि जब लोकतंत्र के शीर्ष प्रतिनिधि जनता के बीच आते हैं, तो वह सिर्फ एक दौरा नहीं होता – वह एक आत्मीय संवाद होता है, जो दिलों को जोड़ता है और विकास की नई दिशा दिखाता है।

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