उधगमंडलम में शिक्षा का महाकुंभ: माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने किया कुलपतियों के ऐतिहासिक सम्मेलन का उद्घाटन
उधगमंडलम (तमिलनाडु), आज — तमिलनाडु की वादियों में आज एक ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला जब भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने राजभवन, उधगमंडलम में तमिलनाडु के राज्य, केंद्रीय और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की। यह केवल एक शैक्षिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊर्जा, दिशा और दृष्टिकोण को आकार देने वाला ऐतिहासिक क्षण था।
सम्मेलन स्थल पर देशभर के शिक्षा जगत की सबसे प्रभावशाली हस्तियाँ मौजूद थीं। लेकिन जैसे ही उपराष्ट्रपति मंच पर पहुंचे, पूरा वातावरण एक प्रेरणादायी संवाद में तब्दील हो गया। अपने ओजस्वी भाषण में उन्होंने कहा,
“शिक्षा केवल डिग्रियों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, यह राष्ट्र निर्माण की सबसे शक्तिशाली नींव है।”
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने विश्वविद्यालयों से आह्वान किया कि वे भारतीय ज्ञान परंपरा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के बीच संतुलन स्थापित करें। उन्होंने यह भी ज़ोर देकर कहा कि विश्वविद्यालय रचनात्मकता, नवाचार और नैतिक मूल्यों के गढ़ बनें।
सम्मेलन में तमिलनाडु के सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित थे। इस महामंथन में नई शिक्षा नीति (NEP), डिजिटल शिक्षा, रोजगारपरक पाठ्यक्रम, अनुसंधान में उत्कृष्टता और छात्र सशक्तिकरण जैसे अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।
उधगमंडलम का शांत और सौंदर्यपूर्ण वातावरण इस आयोजन को और भी विशेष बना गया। सम्मेलन में उपस्थित कुलपतियों ने उपराष्ट्रपति की दूरदर्शी सोच की भूरि-भूरि प्रशंसा की और आश्वासन दिया कि उनके मार्गदर्शन को ज़मीन पर उतारा जाएगा।
यह सम्मेलन केवल तमिलनाडु के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के शिक्षा जगत के लिए एक प्रेरक क्षण बन गया — जहाँ भविष्य के भारत को गढ़ने की दिशा तय हुई।
“राजभवन में आज लिखा गया शिक्षा का नया अध्याय, जहाँ ज्ञान की मशाल फिर से जल उठी” — यही था आज के इस सम्मेलन का सार।
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