कांग्रेस अहंकारी क्यों, इंडी गठबंधन मायूस क्यों??

*कुमार राकेश
*कुमार राकेश

*कुमार राकेश

कांग्रेस को इतना अहंकार क्यों हैं?ज्यादा पॉवर हैं तो  बनारस लोक सभा सीट जीत कर दिखाओ.40 सीटों की औकात नहीं.300 सीटों का दावा करते हैं .देश पर राज करने की बात करते हैं.अब बहुत हो गया .अब और नहीं .इंडी गठबंधन का कबाड़ा करवा दिया कांग्रेस के सोनिया और राहुल गाँधी ने.ये सब उत्तम विचार तृणमूल कांग्रेस पार्टी की संस्थापक अध्यक्ष ममता बनर्जी के हैं.उनके बयानों से स्पष्ट हो गया हैं कांग्रेस व इंडी गठबंधन अब पुराने दोस्त नहीं रह सकेंगे.

आजकल ममता दीदी कांग्रेस को लेकर काफी गुस्से में हैं.कांग्रेस उनकी पुरानी पार्टी रही हैं .जब वो गुस्से में होती हैं तो तब वो मां काली हो जाती हैं .उनका गुस्सा पूरी दुनिया में मशहूर है.उनको जानने वाले कहते है दीदी कई मामलों में लाजवाब हैं.वो राजनीति में मायावती,जयललिता,वसुंधरा राजे जैसे अनुभवी नेताओ से भी काफी भिन्न हैं.ममता दीदी की अपनी कार्यशैली हैं .राजनीतिक रणनीति व कूटनीति में उनका एक अलग अंदाज़ हैं .शायद इसलिए वो तीसरी बार मुख्यमंत्री निर्वाचित होकर पश्चिम बंगाल जैसे जटिल राज्य की राजनीति कर रही हैं .

ये बात दीगर है ममता दीदी अपनी कथित वोट पॉलिटिक्स की वजह से राष्ट्र हित को परे रखकर कार्य कर रही है.जो किसी भी राष्ट्रीय नेता का नहीं हो सकता.न ही होना चाहिए .ममता दीदी को राजनीति और समाज में अपने सभी सभी स्वार्थों की पूर्ति कैसे करनी हैं .उन स्वार्थों को पूर्ति के लिए कौन सी राह चलना हैं .कैसा व्यवहार करना हैं .कैसे किसको मूर्ख बनाना हैं .कब खुश होना हैं .कब ख़ुशी ज़ाहिर करनी हैं .सम्बंधित को कैसे उद्वेलित करना हैं.वोट पाने के लिए  कथित पैर तुड़वाकर आम मतदाताओं का प्यार व उदगार बटोरना भी उन्हें खूब आता हैं .वह सभी सोलह कलाओ के साथ अन्य विशेष कलाओ में निपुण बतायी जाती हैं .ममता वात्सल्यमयी हैं तो कठोर भी .हंसती हैं तो रोती भी हैं .चिल्लाती हैं तो गुर्रारती भी हैं .वह शेरनी भी हैं तो हिरण भी हैं .

ममता दीदी अनुशासित हैं ,जिद्दी नहीं महाज़िद्दी  भी हैं.जो सोच लेती हैं ,उसको पूरा करने के बाद ही सांस लेती हैं.तभी तो 1992 में जो मुख्यमंत्री बनने का जो संकल्प लिया था वो पूरा किया 2011 में .तब उन्होंने लोहा लिया था उस वक़्त के पश्चिम बंगाल के दिग्विजयी नेता ज्योति बसु से .वो मुद्दा था एक लड़की के बलात्कार का.जिसके लिए ममता दीदी ने बंगाल  सरकार से लोहा ले लिया था.

मैंउनसे 1991 से अबतक कई राजनीतिक राहों पर मिला हूँ .देखा हूँ .जानने की कोशिश की हैं .मुझे उनके कई मुद्राओ  से कई राजनीतिक अवसरों पर आमना-सामना भी हुआ है.वह हंसती है तो खुलकर हंसती हैं .गुस्सा करती हैं तो सारे पिछले रिकॉर्ड ध्वस्त.वह जो भी बोलती हैं बिंदास बोलती हैं.वो बहुत बड़ी जुझारू नेता हैं ,उनकी आँखों में एक अंतहीन दर्द दिखता है उनकी पिता की याद का,जो सही उपचार के अभाव में असमय स्वर्ग सिधार गए थे .

आज ममता दीदी अपने कांग्रेस विरोधी बयानों से फिर से चर्चा में हैं .वो दबंग दिखती नहीं है ,वास्तव में वह दबंग हैं .उन्होंने  कांग्रेस पर चौतरफा प्रहार किया हैं .अपनी पुरानी पार्टी को ममता दीदी ने पानी पी पी कर कोसा हैं .उनका मानना हैं आज वाली कांग्रेस उनकी वाली कांग्रेस नहीं रही .भाजपा नेता अरुण जेटली भी आज की कांग्रेस को पुराना व असली कांग्रेस नहीं मानते थे.ऐसा उन्होंने लोक सभा के एक भाषण में भी कहा था.उस वक़्त कांग्रेस की नेता सोनिया गाँधी सदन में मौजूद थी.

ममता दीदी ने कांग्रेस को चुनौती दी हैं कि वो बनारस लोक सभा सीट भाजपा से जीत कर दिखाए.ममता दीदी ने कांग्रेस को कहा हैं जो पार्टी 40 सीटों के लायक नहीं परन्तु 300 सीटों की बात करते हैं .ये संभव हैं .उनका कहना हैं कि कांग्रेस पहले जहाँ जहाँ जीतती थी,आज उन सीटों से हार रही है ,अब वो उन सीटों पर कभी जीत नहीं सकती.ममता दीदी को अपनी मजबूती और कमजोरी दोनों पता हैं .इसलिए वह बेलाग टिप्पणियां कर रही हैं .शायद उन्होंने सोच लिया हैं अब उन्हें किसी इंडी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनना,संभवतः उन्हें पता हैं कि वह अकेले चलकर स्वयं की ताक़त को बरक़रार रख सकती हैं .साथ में भारत की भावी राजनीति के लिए नीतीश कुमार की तरह सभी विकल्प खुले रख सकती हैं .

ममता बनर्जी और नीतीश कुमार में एक समानता हैं .जो बोलते हैं ,उन पर न तो अडिग रहते हैं ,न ही उस पर अमल करते हैं .दोनों स्वयं की हितों को सर्वोपरि रखते हैं .रखते आये हैं ,शायद आगे भी रख्नेगे .दोनों नेताओ में एक समानता हैं.दोनों का पुराना सम्बन्ध भाजपा नीत एनडीए से रहा हैं.दोनों 1998-2004 के दौरान अटल सरकार में मंत्री रहे हैं .पर दोनों आज एक धरातल पर एक हैं -वो हैं कांग्रेस विरोध.जिससे भाजपा को लाभ मिलता दिख रहा हैं .नीतीश अब  चौथी बार कई पलटी मार कर फिर से भाजपा गठबंधन के साथ आ गये हैं.उनका दावा है ,अब यही रहेंगे.देखना हैं कब तक रहते हैं?

जहाँ तक कांग्रेस के अहंकार की बात हैं,तो इतिहास बताता हैं कि पार्टी का अहंकार व चापलूसी से  चिर पुरातन नाता हैं .रिश्ता हैं .दोस्ती हैं .मित्रता हैं.तभी वो सत्य को समझ नहीं पाते.सत्य को पचा नहीं पाते.सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते.

कांग्रेस के राजकुमार कहे जाने वाले राहुल गाँधी भी ऐसे कटु सत्य के ज्वलंत उदाहरण है.राहुल के साथ उनकी माता सोनिया गाँधी भी की कमोबेस यही स्थिति हैं .दोंनो अकडू ,अहंकारी व जिद्दी हैं..इन दोनों को सत्य से कोई वास्ता नहीं .देखिये कैसी हैं यह पार्टी! जो पिछले दस सालो में 90 प्रतिशत चुनाव हार जाने के बावजूद अपने  मैदान में डटी हुयी हैं.सत्य से परे!

कांग्रेस अपने अहंकार में इस कदर डूबी हुयी हैं कि उन्हें देश का सत्य समझ में नहीं आ रहा हैं .देश की जनता का सही दर्द,वास्तविक कष्ट उन्हें पता नहीं .आम जनता के  समग्र कल्याण के लिए कांग्रेस के पास कोई भी ठोस रणनीति नहीं दिखती.

कांग्रेस का पारिवारिक नेतृत्व आज भी कुछ चापलूसों से चौतरफा घिरा हुआ है.उन लोगों की वजह से राहुल गाँधी का  भारत जोड़ो यात्रा व न्याय यात्रा एक तरह से फेल ही साबित हो रही हैं.कांग्रेस ने पिछले दस वर्षो में 90 प्रतिशत से ज्यादा चुनाव हार रहे  हैं  .इसलिए अहंकार व असत्य की वजह से आज की तारीख में कांग्रेस अपने 138 वर्षों के इतिहास के  सबसे बुरे वक़्त से गुजर रही हैं.कांग्रेस को अपना अस्तित्व बचाने के लिए अहंकार मुक्त होकर  स्वयं से लड़ना होगा ,तभी वो आम जन कल्याण  लिए कुछबेहतर  कर सकेगी.

*कुमार राकेश,वरिष्ठ पत्रकार, लेखक , टिप्पणीकार,राजनीतिक विश्लेषक.नई दिल्ली ,भारत .

श्री राकेश, पत्रकारिता व लेखन कार्य में करीब 35 वर्षो से सक्रिय.देश के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य,भारत में 9 टीवी समाचार चैनलों के निर्माणकर्ता-प्रस्तुतकर्ता ,पत्रकारिता कार्य से 50 से अधिक देशो का भ्रमण व लेखन,देश-विदेश के कई सम्मानों व पुरस्कारों से सम्मानित.

सम्प्रति श्री राकेश ,GlobalGovernanceNewsसमूह व समग्र भारत मीडिया समूह के सम्पादकीय अध्यक्ष हैं.सम्पर्क –krakesh8@gmail.com

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