संतुलन अधिनियम: चीन के रडार विस्तार के बीच भारत की बढ़ती असुरक्षा

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,26 मार्च।
भारत की रक्षा रणनीति पर गंभीर प्रभाव डालने वाले एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, चीन ने अपने दक्षिण-पश्चिमी युन्नान प्रांत में, म्यांमार सीमा के पास, एक विशाल फेज़्ड एरे रडार सिस्टम (LPAR) का निर्माण और कमीशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह नया रडार सिस्टम, जिसकी प्रभावशाली निगरानी क्षमता 5,000 किलोमीटर तक फैली है, क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन को बदलने की क्षमता रखता है और भारत के मिसाइल रक्षा कार्यक्रमों के लिए एक नई चुनौती पेश कर सकता है।

यह अत्याधुनिक रडार, जिसे अब तक के सबसे शक्तिशाली अर्ली वॉर्निंग सिस्टम्स में से एक माना जा रहा है, चीन को अभूतपूर्व निगरानी क्षमताएं प्रदान करेगा। इसका कवरेज अधिकांश हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) तक फैला होगा और यह भारतीय क्षेत्र के गहरे अंदर तक प्रवेश करने में सक्षम होगा। इस रडार से चीन भारत के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर करीबी नजर रख सकेगा, जिसमें भारत के पूर्वी तट पर स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप जैसे प्रमुख परीक्षण स्थल शामिल हैं, जहां अग्नि-वी और K4 मिसाइलों का अक्सर परीक्षण किया जाता है।

युन्नान में स्थित यह रडार रक्षा तकनीक की दुनिया में एक गेम-चेंजर माना जा रहा है। इसका 5,000 किलोमीटर तक विस्तारित कवरेज न केवल भारत के महत्वपूर्ण क्षेत्रों तक पहुंच बनाएगा, बल्कि हिंद महासागर के व्यापक हिस्सों तक भी फैलेगा। यह क्षेत्र न केवल भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि इसकी सैन्य योजनाओं का भी एक अभिन्न अंग है।

इस रडार की सहायता से चीन अब भारत के महत्वपूर्ण लॉन्च साइट्स, विशेष रूप से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किए गए मिसाइल परीक्षणों की निगरानी कर सकेगा। यह परीक्षण स्थल भारत के अग्नि-वी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल और K4 पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल जैसी प्रमुख रक्षा प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण है। ये दोनों ही भारत की सामरिक प्रतिरोधक क्षमता (Strategic Deterrence) और रक्षा तैयारी के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।

युन्नान में स्थापित यह रडार प्रणाली भारत की मिसाइल गतिविधियों पर करीबी नजर रखने की क्षमता रखता है, विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) और बंगाल की खाड़ी में। यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल प्रमुख नौवहन मार्गों का केंद्र है, बल्कि भारतीय नौसेना के सबसे प्रभावशाली बेड़ों में से एक का संचालन क्षेत्र भी है।

इस फेज़्ड एरे रडार की स्थिति चीन को भारत के नौसैनिक अभ्यास और मिसाइल परीक्षणों की निगरानी का लाभ देगी। इसकी पहुंच बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़कर हिंद महासागर तक फैली होगी, जहां भारतीय नौसेना और वायु सेना नियमित रूप से संचालन करती हैं। इस रडार की रियल-टाइम ट्रैकिंग क्षमता चीन को भारत की सैन्य गतिविधियों की निगरानी में रणनीतिक बढ़त प्रदान करेगी।

युन्नान का यह रडार सिस्टम चीन की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह भारत की सीमाओं के आसपास अपनी निगरानी क्षमताओं को बढ़ा रहा है। चीन पहले से ही अपने उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों, जैसे कि कोरला और शिंजियांग में फेज़्ड एरे रडार सिस्टम संचालित कर रहा है, जो उसे उत्तरी भारत में मिसाइल लॉन्च और सैन्य गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखने में मदद करता है।

अब युन्नान में स्थापित इस नए रडार के जरिए चीन को भारत के उत्तर से लेकर दक्षिणी तट तक की निगरानी की क्षमता प्राप्त हो गई है। यह भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है, क्योंकि अब भारत के पास अपने मिसाइल परीक्षणों और सैन्य अभियानों को छिपाने के लिए बहुत कम विकल्प बचेंगे।

इस नई रडार प्रणाली का सबसे चिंताजनक पहलू इसका डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) के रूप में उपयोग किए जाने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रडार सिस्टम शक्तिशाली मेगावॉट-रेंज की ऊर्जा तरंगें उत्सर्जित कर सकता है, जो संभावित रूप से किसी भी आने वाली मिसाइल को उसके इलेक्ट्रॉनिक घटकों को निष्क्रिय कर नष्ट कर सकती है।

यदि यह क्षमता पूरी तरह विकसित हो जाती है, तो चीन को भारत के मिसाइल रक्षा कार्यक्रमों को विफल करने में एक महत्वपूर्ण बढ़त मिल सकती है। इस तकनीक का उपयोग मिसाइलों को लॉन्च के तुरंत बाद निष्क्रिय करने के लिए किया जा सकता है, जिससे भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को भी खतरा हो सकता है।

भारत की रक्षा नीति में बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली, विशेष रूप से अग्नि-वी जैसी मिसाइलें, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि ये परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं। यदि चीन की रडार प्रणाली इन मिसाइलों को उड़ान के दौरान ही निष्क्रिय करने में सक्षम हो जाती है, तो यह भारत की ‘सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी’ को कमजोर कर सकता है, जो इसकी रक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इस रडार प्रणाली की तैनाती के साथ ही भारत और चीन के बीच जारी सामरिक प्रतिद्वंद्विता एक नए चरण में प्रवेश कर गई है। भारत लंबे समय से हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति को अपने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता रहा है। अब इस नए रडार की स्थापना से यह चुनौती और भी बढ़ गई है।

भारत के रक्षा योजनाकारों को अब अपनी मिसाइल रक्षा रणनीति की दोबारा समीक्षा करनी होगी, क्योंकि चीन के इस विस्तारित निगरानी नेटवर्क के कारण भारतीय मिसाइल लॉन्च को ट्रैक और संभावित रूप से निष्क्रिय करने की उसकी क्षमता में वृद्धि हुई है।

युन्नान में चीन का यह फेज़्ड एरे रडार सिस्टम भारत-चीन के बीच चल रही सैन्य होड़ में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसकी निगरानी क्षमता से चीन को भारत के मिसाइल परीक्षण, नौसेना अभियानों और सैन्य गतिविधियों पर व्यापक दृष्टि मिलेगी। इस रडार की रणनीतिक स्थिति और संभावित ‘डायरेक्टेड एनर्जी वेपन’ क्षमताएं भारत की रक्षा अवसंरचना और परमाणु प्रतिरोध नीति के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती हैं।

जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस क्षेत्र में हो रहे घटनाक्रमों पर करीबी नजर रखनी होगी। भारत को भी अपनी निगरानी और मिसाइल रक्षा क्षमताओं को उन्नत करने की आवश्यकता होगी, ताकि चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके और हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

हिंद महासागर में प्रभुत्व की यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि इसके दांव पहले से कहीं अधिक ऊंचे हो गए हैं।

Comments are closed.