उत्तराखंड में 250 पाकिस्तानी नागरिकों की मौजूदगी से मचा हड़कंप! सुरक्षा एजेंसियां सतर्क, जाँच तेज़
देहरादून, आज — शांत और सुरक्षित माने जाने वाले उत्तराखंड में एक सनसनीखेज खुलासा सामने आया है। जानकारी के अनुसार राज्य में 250 पाकिस्तानी नागरिकों की मौजूदगी की पुष्टि के बाद प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों में खलबली मच गई है। अब तक जिस प्रदेश को धार्मिक पर्यटन और देवभूमि के नाम से जाना जाता था, वहीं अब आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मंडराता दिख रहा है।
सूत्रों की मानें तो ये सभी 250 नागरिक राज्य के विभिन्न जिलों में वर्षों से रह रहे हैं, जिनमें से कई ने फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिये नागरिकता संबंधी लाभ भी हासिल कर लिए हैं। खासकर हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल और देहरादून जैसे सीमावर्ती और शहरी इलाकों में इनकी मौजूदगी पाई गई है।
इनमें से कुछ ने भारतीय नागरिकों से विवाह कर लिया है, तो कुछ ने आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी तक बनवा लिए हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इनमें से कुछ लोगों की गतिविधियों पर पहले से ही खुफिया एजेंसियों की नज़र थी।
सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रकार की चुपचाप घुसपैठ भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। जिस तरह से कुछ पाकिस्तानी नागरिक स्थानीय समुदायों में घुल-मिल गए हैं, वह आने वाले समय में रडिकल नेटवर्क या आतंकी गतिविधियों के लिए जमीन तैयार कर सकता है।
राज्य सरकार ने इस मामले को ‘अत्यंत गंभीर’ मानते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। जिलों के प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि:
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सभी पाकिस्तानी नागरिकों की पुन: सत्यापन प्रक्रिया शुरू की जाए
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फर्जी दस्तावेज़ों की तत्काल पहचान कर उन्हें रद्द किया जाए
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गैरकानूनी तौर पर रह रहे नागरिकों को डिपोर्ट करने की प्रक्रिया तेज़ की जाए
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स्थानीय लोगों को सतर्क किया जाए ताकि वे ऐसे मामलों की सूचना प्रशासन को दें
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि भारत के लिए खतरे अब सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। देवभूमि उत्तराखंड जैसे राज्य भी अब देश की सुरक्षा नीति के केंद्र में आ गए हैं।
“राष्ट्र की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। दुश्मन चाहे बाहर हो या भीतर — कार्रवाई तय है!” — एक वरिष्ठ अधिकारी की टिप्पणी
यह मामला केवल 250 लोगों का नहीं, बल्कि सुरक्षा तंत्र, संवेदनशीलता और सजगता की परीक्षा है। अब देखना यह होगा कि उत्तराखंड की यह कार्रवाई क्या देशभर के लिए उदाहरण बनती है या सिर्फ एक चेतावनी बनकर रह जाती है।
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