वैदिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम ही मानवता का भविष्य है, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने कहा — विश्वबंधुत्व की भावना, पर्यावरण संरक्षण और सदाचार आधारित शिक्षा से बनेगा विकसित भारत

  • राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा, पतंजलि विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक संदर्भों में आगे बढ़ा रहा है।
  • योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से “स्वस्थ भारत” के निर्माण में विश्वविद्यालय की भूमिका सराहनीय।
  • छात्रों से पर्यावरण संरक्षण, स्वाध्याय और सत्यनिष्ठा को जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान।
  • समारोह में 64% छात्राएँ; पदक पाने वाली बेटियों की संख्या छात्रों से चार गुना अधिक रही।

समग्र समाचार सेवा
हरिद्वार, 2 नवम्बर: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को हरिद्वार स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने योग, आयुर्वेद और वैदिक ज्ञान पर आधारित शिक्षा को “भारतीय आत्मा की पुनर्स्थापना” बताया और कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय जैसे संस्थान आधुनिक युग में भारत की ज्ञान परंपरा को नई दिशा दे रहे हैं।

राष्ट्रपति ने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए विशेष रूप से छात्राओं की उपलब्धि की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 64 प्रतिशत डिग्री प्राप्त करने वाली छात्राएँ हैं और पदक प्राप्त करने वाली बेटियों की संख्या छात्रों से चार गुना अधिक है। यह महिलाओं के नेतृत्व में आगे बढ़ते विकसित भारत की झलक है।

उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से स्वस्थ भारत के निर्माण में सेतु का कार्य कर रहा है। विश्वविद्यालय का शिक्षा दर्शन, विश्वबंधुत्व की भावना, वैदिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान का समन्वय, तथा वैश्विक चुनौतियों के समाधान, भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक संदर्भों में नई ऊँचाई दे रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के अनुरूप जीवनशैली मानवता के भविष्य के लिए अनिवार्य है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सक्रिय भूमिका निभाएँ।
वैदिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम ही मानवता का भविष्य है” — राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों को “स्वाध्याय, तपस्या और सत्यनिष्ठा” जैसे मूल्यों को जीवन का आधार बनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि व्यक्ति निर्माण से ही परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण संभव है, और पतंजलि विश्वविद्यालय ने इस दिशा में एक आदर्श मार्ग चुना है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने समारोह के अंत में कहा कि सदाचार और समरसता पर आधारित शिक्षा ही समावेशी विकास और मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य और राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान की शुभकामना दी।

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