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कुमार राकेश

क्रोध से दूर रहे !

एक संत भिक्षा में मिले अन्न से अपना जीवत चला रहे थे। वे रोज अलग-अलग गांवों में जाकर भिक्षा मांगते थे। एक दिन वे गांव के बड़े सेठ के यहां भिक्षा मांगने पहुंचे। सेठ ने संत को थोड़ा अनाज दिया और बोला कि गुरुजी मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूं।

2023 की नई फ़िल्म -राहुल की दाढ़ी और शोले

जो 1980 के दशक में जो शोले बनी थी , वो काफ़ी लोकप्रिय हुई थी, अब एक नयी फ़िल्म “राहुल की दाढ़ी व शोले”बनी है , उसके डायलॉग सुनिए -आनंद आएगा -खुश रहिए व जगत को भी खुश रहिए -जगत का मतलब जगत प्रकाश नाड्डा नहीं समझ लेना आप -यहाँ जगत का मतलब…

प्रधान मंत्री नरेन्द्र भाई मोदी का वैश्विक रुप व नया भारत

*कुमार राकेश 22 मई 2023 को पापुआ न्यू गिनी की एक घटना ने पूरे विश्व में भारत के आन -बान और शान में चार चाँद लगा दिया है। पापुआ न्यू गिनी की घटना अद्भुत है, अभूतपूर्व है, विश्व के इतिहास मे आज तक कभी भी, किसी भी राष्ट्रप्रमुख ने दूसरे…

वो शाम भी अजीब थी…

*कुमार राकेश शायद आपको याद हो,वो खनकती हुयी ऊर्जान्वित ,भावो से ओत-प्रोत,वो अविस्मरणीय,ओजस्वी आवाज़:~~~~~~~~******. --:मै समय हूँ:-- -महाभारत का वो सूत्रधार - हाँ,वही वो आवाज़ जो आज भी आपके दिल से होते हुए आपके दिमाग में स्थायी घर…

उर्दू नहीं हिंदी बोलिये भाई साहेब , आप भारत में हैं !

प्रस्तुति -कुमार राकेश ये वो उर्दू के शब्द जो आप प्रतिदिन प्रयोग करते हैं, इन शब्दों को त्याग कर मातृभाषा का प्रयोग करें! असीम आनंद की प्राप्ति होगी उर्दू हिंदी 01 ईमानदार - निष्ठावान 02 इंतजार - प्रतीक्षा 03 इत्तेफाक - संयोग 04…

शिव, शिवलिंग व शिव परिवार का आम जीवन से जुड़ाव व उसका महत्व

शिव कौन है? इस चित्रण में शिव को एक इंसान के रूप बनाया गया था, या भारतीय प्राचीन ऋषियों द्वारा मानव जाति के लिए इस ब्रह्मांडीय चेतना को समझने के लिए यह चित्र नियोजित किया गया था, । हम इस चित्रण के प्रत्येक पहलू का विश्लेषण करते हैं:

हे गाँधी,हे सरदार,हे राजेन्द्रबाबु,हे बाबासाहेब, अपने आज़ाद देश भारत में ये क्या हो रहा है? हे राम !

हे ईश्वर ,अपने देश भारत को क्या हो गया है? अपने स्वार्थ के लिए देश के बलिदानियों का सहारा लिया जा रहा है.ऐसा क्यों? कहाँ बलिदानी भगत सिंह ,कहाँ भ्रष्टाचार के आरोपी दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया? कोई तुलना है क्या ? कोई तुलना हो सकती…

भ्रम नहीं पाले , विनम्र रहे !

एक बार नदी को अपने पानी के प्रचंड प्रवाह पर घमंड हो गया।नदी को लगा कि मुझमें इतनी ताकत है कि मैं पहाड़, मकान, पेड़, पशु, मानव आदि सभी को बहाकर ले जा सकती हूँ।

ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी एक ग़लत आरोपित तथ्य- कांग्रेसी व वामपंथी इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास…

कांग्रेसी व वामपंथी ग्रास काल के कई इतिहासकारों ने हमारे मूल इतिहास के साथ तो कई छेड़छाड़ तो किया ही है , सनातन हिंदू ग्रंथों को भी अपने विरोध शैलियों से नहीं बख्शा है .